मैं तन्हाई का राही
कोई अपना, न बेगाना
मेरा जीवन भी क्या है
अधूरा सा एक फ़साना
मैं वो नग़्मा हूँ जिसे
प्यार की महफिल न मिली
वो मुसाफिर हूँ जिसे
कोई भी मंज़िल न मिली
मेरे दिल में हैं
नाकाम उम्मीदों के घनेरे साये
रौशनी लेने को निकला
तो अँधेरे पाए
मेरे तकदीर के सितम का कहना ही क्या
प्यार माँगा तो
सिसकते हुए अरमान मिले
चैन चाहा तो
उमड़ते हुए तूफान मिले.
©piyush
#GoldenHour