White तन्हा नाविक
अथाह सागर सांवरा सा, प्यास बड़ी विकल,
चक्रवातों का अंदेशा है, नजर में नहीं साहिल।
हठी अकेला मैं नाविक, इत उत डोलूं,
गहरे भाव भेद मन के, किससे खोलूं।
चट्टानों से लड़ लूं मैं,
लहरों से भी भिड़ लूं मैं।
तुम पक्षी हो आ सकते हो,
अपने मन की गा सकते हो,
खुले गगन में जा सकते हो,
पंखों से मंजिल पा सकते हो।
आ जा तुझसे ही, बतिया लूं मैं,
अपना 'बेतौल' नेह, जता लूं मैं।
कोई तो हो, जिससे मैं बोलूं,
तेरी चूं चूं से ही, खुश हो लूं।
लहरें शांत, मेरे हिय हलचल, लोचन में है खारा जल,
तुम ही बन जाओ साथी मेरे, तुझे देख मैं हो जाता विव्हल।
©बोल_बेतौल by Atull Pandey
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