माँ मैंने गम नहीं देखा कभी उसकी छावं में कभी फर्क | हिंदी Shayari

"माँ मैंने गम नहीं देखा कभी उसकी छावं में कभी फर्क ना लगा उसके प्रेम भाव में और क्या क्या कहूँ मैं उसके बारे में जो इंतेज़ार में बैठा करती थी आँगन के चौबारे में जब दर्द में था तो तुझे आवाज दी और जब तू दर्द में थी तूने वो बात ही राज कर दी अगर दिखा तेरा दर्द तो तेरा दर्द कोई ना जान सका कहा माँ और दर्द ये कोई वहाँ खड़ा शख्स ना मान सका जिन्हें एहसास नहीं आज माँ के प्यार का उन्हें नज़र आएगा वहीं नतीजा अपने बच्चों के व्यवहार का ।। ©Ravinder Sharma"

 माँ मैंने गम नहीं देखा कभी उसकी छावं में 
कभी फर्क ना लगा उसके प्रेम भाव में  

और क्या क्या कहूँ मैं उसके बारे में 
जो इंतेज़ार में बैठा करती थी आँगन के चौबारे में 

जब दर्द में था तो तुझे आवाज दी 
और जब तू दर्द में थी तूने वो बात ही राज कर दी

अगर दिखा तेरा दर्द तो तेरा दर्द कोई ना जान सका 
कहा माँ और दर्द ये कोई वहाँ खड़ा शख्स ना मान सका

जिन्हें एहसास नहीं आज माँ के प्यार का 
उन्हें नज़र आएगा वहीं नतीजा अपने बच्चों के व्यवहार का ।।

©Ravinder Sharma

माँ मैंने गम नहीं देखा कभी उसकी छावं में कभी फर्क ना लगा उसके प्रेम भाव में और क्या क्या कहूँ मैं उसके बारे में जो इंतेज़ार में बैठा करती थी आँगन के चौबारे में जब दर्द में था तो तुझे आवाज दी और जब तू दर्द में थी तूने वो बात ही राज कर दी अगर दिखा तेरा दर्द तो तेरा दर्द कोई ना जान सका कहा माँ और दर्द ये कोई वहाँ खड़ा शख्स ना मान सका जिन्हें एहसास नहीं आज माँ के प्यार का उन्हें नज़र आएगा वहीं नतीजा अपने बच्चों के व्यवहार का ।। ©Ravinder Sharma

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