तिरस्कार, अपमान, शब्दों की चोट,
न समझ पाने वाली भावनाएं .....
ये सब एकत्रित होते होते संग्रहित हो जाती है ,
जो वक्त के साथ प्रेम की छवि धूमिल करने लगती है हृदय से !
किसी के प्रति प्रेम की उत्पत्ति अचानक ही होती है लेकिन ,
प्रेम की मृत्यु कभी भी अचानक नही होती !
उपेक्षाओं और अपेक्षाओं का दंश झेलते झेलते ,
आहिस्ता आहिस्ता से प्रेम की समाप्ति होती है !
प्रेम पूर्णतः कभी समाप्त नही होता ,
बस गलतफहमी के कारण धूल की गर्त में समा जाता है !
©Devil
#andhere