White तमन्ना है कि तुझ पर हक जतायूँ ,
पर सोचती हूँ कि, किस हक से हक जतायूँ।
चाहती हूँ कि तुम पढ सको मेरे खामोश लफ्ज़ो को और महसूस करो मेरे मौन को।
ढूँढती हैं अब ये निगाहें
महफिल में भी तुम्हारे ही चेहरे को।
बेख्याली में भी जिसका ख्याल हो
वो तसव्वुर हो तुम।
(आशिमा)
©Dr Archana
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