White महज सुनते रहे धड़कनों को, कुछ समझ न पाए, शब् | हिंदी कविता

"White महज सुनते रहे धड़कनों को, कुछ समझ न पाए, शब्दों की चुप्पी में छिपे अर्थ, कभी सुलझ न पाए। दिल की बातें दिल तक ही रहीं, लफ्ज़ों ने रास्ता खो दिया, जुबां खामोश थी लेकिन, आंखों ने सब कुछ कह दिया। समझना तो चाहा हमने, पर खुद को समझ न पाए, महज सुनते रहे धड़कनों को, और खुद में ही खो गए। वक्त की परछाई में बंधे, सपनों को छूने चले थे, धड़कनों की धुन सुनते-सुनते, रास्ते भटक गए थे। अब धड़कनों की गूंज है बस, कानों में गूंजती रहती है, पर क्या कह रही है ये धड़कन, अब भी समझ न आती है। ©aditi the writer"

 White महज सुनते रहे धड़कनों को,
कुछ समझ न पाए,
शब्दों की चुप्पी में छिपे अर्थ,
कभी सुलझ न पाए।

दिल की बातें दिल तक ही रहीं,
लफ्ज़ों ने रास्ता खो दिया,
जुबां खामोश थी लेकिन,
आंखों ने सब कुछ कह दिया।

समझना तो चाहा हमने,
पर खुद को समझ न पाए,
महज सुनते रहे धड़कनों को,
और खुद में ही खो गए।

वक्त की परछाई में बंधे,
सपनों को छूने चले थे,
धड़कनों की धुन सुनते-सुनते,
रास्ते भटक गए थे।

अब धड़कनों की गूंज है बस,
कानों में गूंजती रहती है,
पर क्या कह रही है ये धड़कन,
अब भी समझ न आती है।

©aditi the writer

White महज सुनते रहे धड़कनों को, कुछ समझ न पाए, शब्दों की चुप्पी में छिपे अर्थ, कभी सुलझ न पाए। दिल की बातें दिल तक ही रहीं, लफ्ज़ों ने रास्ता खो दिया, जुबां खामोश थी लेकिन, आंखों ने सब कुछ कह दिया। समझना तो चाहा हमने, पर खुद को समझ न पाए, महज सुनते रहे धड़कनों को, और खुद में ही खो गए। वक्त की परछाई में बंधे, सपनों को छूने चले थे, धड़कनों की धुन सुनते-सुनते, रास्ते भटक गए थे। अब धड़कनों की गूंज है बस, कानों में गूंजती रहती है, पर क्या कह रही है ये धड़कन, अब भी समझ न आती है। ©aditi the writer

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