शाम होते ही बिछ जाती हैं शतरंज, नव अवकाशप्राप्त, ख | हिंदी कविता Video

"शाम होते ही बिछ जाती हैं शतरंज, नव अवकाशप्राप्त, खिजाब से बाल रंगे बूढ़े! बैठ जाते हैं नीचे गलियों में जलते मरकरी बल्ब की रोशनी में। घर से समय निकाल कर बैठ जाते हैं नवदंपति गलियों में जलते मरकरी बल्ब की रोशनी में। भौंक कर थके हारे, गलियों के कुत्ते पाते हैं सुकून गलियों में जलते मरकरी बल्ब की रोशनी में। ©Kamlesh Kandpal "

शाम होते ही बिछ जाती हैं शतरंज, नव अवकाशप्राप्त, खिजाब से बाल रंगे बूढ़े! बैठ जाते हैं नीचे गलियों में जलते मरकरी बल्ब की रोशनी में। घर से समय निकाल कर बैठ जाते हैं नवदंपति गलियों में जलते मरकरी बल्ब की रोशनी में। भौंक कर थके हारे, गलियों के कुत्ते पाते हैं सुकून गलियों में जलते मरकरी बल्ब की रोशनी में। ©Kamlesh Kandpal

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