White
दिन ढलता है तो ढलने दो।
रवि जलता है तो जलने दो।।
मेरे लिए नहिं कोई विकल।
छलक गए आँसू पिघल-पिघल।।
मेरे जीवन में ऊथल-पुथल।
फिर भी चलता हूँ सँभल-संँभल।।
अब धीरे-धीरे चलने दो।।
घर में छाया घना अँँधेरा।
लुटा-पिटा सा मेरा डेरा।।
फिर भी लगता माया फेरा।
जग झूठा क्या तेरा-मेरा।।
हाँ!नियति नटी को छलने दो।
©Subhash Singh
#safar