White सर्दी
देख धारा पर आई सर्दी
बदल गई है सबकी वर्दी
हाथों में कुदरत की सत्ता
चला रही अपनी मनमर्जी
भूले खाना बर्फ के गोले
डरें देख कर शीत व ओले
लस्सी दही को अब ना छूना
अपने बच्चों से माँ बोले
लाद रहे सब तन पर कपड़े
दुबले भी लगते हैं तगड़े
चिंतित ठिठुर रही गौ माता
काँप रहें हैं उनके बछड़े
कहते कंबल और रजाई
मेरे अंदर छुप जा भाई
नहीं तो लग जाएगी सर्दी
भुलोगे फिर गुंडा गर्दी
टोपी स्वेटर उनी चादर
संदूकों से निकले बाहर
कहें ठंड से हमको लड़ना
खोज रहे थे कब से अवशर
फिर भी ठंढ अकड़ से कहती
जो पंगा ले नाक है बहती
सिर्फ आग से ही मै डरती
उससे दुर सदा ही रहती
बेखुद पशु पक्षी है कहते
हम मजबूर खुले में रहते
कौन हमारा करे सुरक्षा
जब तक सर्दी है दुःख सहते
©Sunil Kumar Maurya Bekhud
#सर्दी