White कल तक जो हरियाली रहती थी सामने, आज पतझड़ आई | हिंदी शायरी

"White कल तक जो हरियाली रहती थी सामने, आज पतझड़ आई और आंखे देखने को तरस गई। कल तक जो शर्म हया की चादर ओढ़े हुए थी, आज रात हुई और उसकी ख्वाहिश मचल गई। कल तक उसका हाथ था तंग, उसकी खासियत थी दिलेरी, आज पैसा आया और नियत बदल गई। कबसे जो बात दिल में दबाई थी, आज नशे में था और मुंह से निकल गई। कल तक जो बात सख्त लगती थी कड़वी, आज हकीकत का सामना हुआ और सच निकल गई। जो कल तक बनी फिरती थी मुंह पर मीठी, आज समय क्या बदला और अपनी बात से पलट गई। कल तक ठोकरें खाता था दर ब दर, अंधेरा था हर तरफ, ख़ुदा ने बरकत बक्शी और किस्मत चमक गई। कल तक उसकी खूबसूरती की कसम नहीं खाते थे कभी, कुछ दिन साथ रही और आज वो नजर से उतर गई। ©नवनीत ठाकुर"

 White  कल तक जो हरियाली रहती थी सामने,
आज पतझड़ आई और आंखे देखने को तरस गई।
कल तक जो शर्म हया की चादर ओढ़े हुए थी,
आज रात हुई और उसकी ख्वाहिश मचल गई।
कल तक उसका हाथ था तंग, उसकी खासियत थी दिलेरी,
आज पैसा आया और नियत बदल गई।
कबसे जो बात दिल में दबाई थी,
आज नशे में था और मुंह से निकल गई।
कल तक जो बात सख्त लगती थी कड़वी,
आज हकीकत का सामना हुआ और सच निकल गई।
जो कल तक बनी फिरती थी मुंह पर मीठी,
आज समय क्या बदला और अपनी बात से पलट गई।
कल तक ठोकरें खाता था दर ब दर, अंधेरा था हर तरफ,
ख़ुदा ने बरकत बक्शी और किस्मत चमक गई।
कल तक उसकी खूबसूरती की कसम नहीं खाते थे कभी,
कुछ दिन साथ रही और आज वो नजर से उतर गई।

©नवनीत ठाकुर

White कल तक जो हरियाली रहती थी सामने, आज पतझड़ आई और आंखे देखने को तरस गई। कल तक जो शर्म हया की चादर ओढ़े हुए थी, आज रात हुई और उसकी ख्वाहिश मचल गई। कल तक उसका हाथ था तंग, उसकी खासियत थी दिलेरी, आज पैसा आया और नियत बदल गई। कबसे जो बात दिल में दबाई थी, आज नशे में था और मुंह से निकल गई। कल तक जो बात सख्त लगती थी कड़वी, आज हकीकत का सामना हुआ और सच निकल गई। जो कल तक बनी फिरती थी मुंह पर मीठी, आज समय क्या बदला और अपनी बात से पलट गई। कल तक ठोकरें खाता था दर ब दर, अंधेरा था हर तरफ, ख़ुदा ने बरकत बक्शी और किस्मत चमक गई। कल तक उसकी खूबसूरती की कसम नहीं खाते थे कभी, कुछ दिन साथ रही और आज वो नजर से उतर गई। ©नवनीत ठाकुर

# शेरो शायरी

People who shared love close

More like this

Trending Topic