खुदा ने दी है ये सांसें तो बस जी लो,
क्या पता ये पल आखिरी सलाम हो।
ख्वाहिशें कम कर, दिल को थोड़ा आराम दे,
हर चाहत का पूरा होना न कोई इनाम हो।
बस सच और मोहब्बत का दामन थाम ले,
सफर का यही असली अंजाम हो।
ग़म और खुशियों को बराबर समझ लो,
हर लम्हा जीने का मुकम्मल मुकाम हो।
जो है आज, वही सब कुछ है यार,
किसे पता, कल का क्या इंतज़ाम हो।
©नवनीत ठाकुर
#नवनीतठाकुर
खुदा ने दी है ये सांसें तो बस जी लो,
क्या पता ये पल आखिरी सलाम हो।
ख्वाहिशें कम कर, दिल को थोड़ा आराम दे,
हर चाहत का पूरा होना न कोई इनाम हो।
बस सच और मोहब्बत का दामन थाम ले,