.आज का दोहा बची संस्कृति नाम की, हैं नूतन परिधान | हिंदी कविता

".आज का दोहा बची संस्कृति नाम की, हैं नूतन परिधान! जितने ओछे वस्त्र हैं , उतने ही इंसान !! -विवेक दीक्षित 'स्वतंत्र ' ©Vivek Dixit swatantra"

 .आज का दोहा 

बची संस्कृति नाम की,
हैं नूतन परिधान!
जितने ओछे वस्त्र हैं ,
उतने ही इंसान !!
-विवेक दीक्षित 'स्वतंत्र '

©Vivek Dixit swatantra

.आज का दोहा बची संस्कृति नाम की, हैं नूतन परिधान! जितने ओछे वस्त्र हैं , उतने ही इंसान !! -विवेक दीक्षित 'स्वतंत्र ' ©Vivek Dixit swatantra

दोहा

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