White ना पूछो उन रस्तों का हाल बिन तेरे सब सूने | हिंदी कविता

"White ना पूछो उन रस्तों का हाल बिन तेरे सब सूने सूने अब चलता हूं जब उन पर मैं ना जाने क्यों आयें तेरे ख्याल वृक्षों पर लिखे थे जो अपने नाम नाम क्या अब तो वृक्ष ही कट गए सड़कों के नीचे पैरों के निशां दब गए उम्र बीत गई अब तो तुमने तो आना था वर्षों पहले इक शाम ©Kanwaljit Bhullar"

 White ना पूछो 
उन रस्तों का हाल
बिन तेरे 
सब सूने सूने
अब चलता हूं 
जब उन पर मैं
ना जाने क्यों 
आयें तेरे ख्याल

वृक्षों पर लिखे थे 
जो अपने नाम
नाम क्या अब तो 
वृक्ष ही कट गए
सड़कों के नीचे 
पैरों के निशां दब गए
उम्र बीत गई अब तो
तुमने तो आना था 
वर्षों पहले 
इक शाम

©Kanwaljit Bhullar

White ना पूछो उन रस्तों का हाल बिन तेरे सब सूने सूने अब चलता हूं जब उन पर मैं ना जाने क्यों आयें तेरे ख्याल वृक्षों पर लिखे थे जो अपने नाम नाम क्या अब तो वृक्ष ही कट गए सड़कों के नीचे पैरों के निशां दब गए उम्र बीत गई अब तो तुमने तो आना था वर्षों पहले इक शाम ©Kanwaljit Bhullar

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