ग़ज़ल
कभी तुम ,वहाँ पहुँचे
कभी हम ,वहाँ पहुँचे
जहाँ पहुंचना था साथ
पहुँचे मगर , तन्हा पहुँचे
क्या दुनिया,देखती भला
दिखे हमी, जहाँ पहुँचे
सफर ,कठिन था बेशक
अकेले कहाँ-कहाँ पहुँचे
पहुंचना था , दिल तक
रास्ते आसमाँ तक पहुँचे
डॉ . आशा सिंह सिकरवार 'जाफ़रान '
©Dr.asha Singh sikarwar
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