जाल कैसा समय भी बिछा जाता है। ईंट से ईंट सबकी बजा | हिंदी Sad

"जाल कैसा समय भी बिछा जाता है। ईंट से ईंट सबकी बजा जाता है। आज जीवन का हर मोड़ दुःख से भरा यूँ ही आके कोई दिल दुखा जाता है। हो चुका है खिलौने सा जीवन मेरा हर कोई खेल करके चला जाता है। दोस्ती हो चुकी है ग़मों से मेरी दूर से देखकर सुख चला जाता है। भाग्य चाहा था मैंने बदलना बहुत फिर भी मुझको अभागा कहा जाता है।"

 जाल कैसा समय भी बिछा जाता है।
ईंट से ईंट सबकी बजा जाता है।

आज जीवन का हर मोड़ दुःख से भरा
 यूँ ही आके कोई दिल दुखा जाता है।

हो चुका है खिलौने सा जीवन मेरा
हर कोई खेल करके चला जाता है।

दोस्ती हो चुकी है ग़मों से मेरी
दूर से देखकर सुख चला जाता है।

भाग्य चाहा था मैंने बदलना बहुत
फिर भी मुझको अभागा कहा जाता है।

जाल कैसा समय भी बिछा जाता है। ईंट से ईंट सबकी बजा जाता है। आज जीवन का हर मोड़ दुःख से भरा यूँ ही आके कोई दिल दुखा जाता है। हो चुका है खिलौने सा जीवन मेरा हर कोई खेल करके चला जाता है। दोस्ती हो चुकी है ग़मों से मेरी दूर से देखकर सुख चला जाता है। भाग्य चाहा था मैंने बदलना बहुत फिर भी मुझको अभागा कहा जाता है।

#gazal #poetry #poem #qoutes #life #lifequotes #SAD

एक गज़ल

जाल कैसा समय भी बिछा जाता है।
ईंट से ईंट सबकी बजा जाता है।

आज जीवन का हर मोड़ दुःख से भरा

People who shared love close

More like this

Trending Topic