साथ चलोगे तो साथ ही मिलेगा
क़ैद करोगे तो नफ़रत ही मिलेगी
अपने पर देने क्यूँ न पड़े उन्हें उड़ने के लिए
निभाओगे साथ तो बेशक़ मोहब्बत ही मिलेंगी
यूँ जबरदस्ती से शायद तुम्हारे हो भी जाये
पर शिफारिश से सिर्फ़ शोहरत ही मिलेंगी
जीतनी ऊँची होगी आसमान में उड़ान उतने याद आओगे
पर सुकून सिर्फ़ धरती पर ही मिलेगी
कैद करने से पहले आज़ाद करना सीखो
कुछ कहने से पहले बात करना सीखो
ज़रूरी नहीं कि सही गलत का भेद कह कर बताया जाए
क़भी क़भी दूसरों को समझाने से अच्छा खुद समझना सीखो
©Sonu Goyal
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मुझे नहीं पता मैं क्या लिखती हुँ
पर इतना जानती हूँ कि ज्यादातर मैं महसूस करके लिखती हूँ मेरी लेखनी में काल्पनिक से ज्यादा वास्तविकता ज्यादा होती हैं
लिखने से पहले उस लम्हें में जीती हूँ
इसलिये हर कोई समझ पाए इसकी उम्मीद करना गलत हैं
क्योंकि सबके अपने अपने भाव होते हैं
और उस भाव से जुड़ी भावना को समझने के लिए उस भाव को जीना पड़ता हैं