रात को खुली आँखो से सोना सुबह को इस आस मेें जगना. | हिंदी कविता

"रात को खुली आँखो से सोना सुबह को इस आस मेें जगना... दिनभर बेचैन रहना फिर शाम को मायूसी से ढलना... ©Parvej Khan"

 रात को खुली आँखो से सोना 
सुबह को इस आस मेें जगना...
दिनभर बेचैन रहना
फिर शाम को मायूसी से ढलना...

©Parvej Khan

रात को खुली आँखो से सोना सुबह को इस आस मेें जगना... दिनभर बेचैन रहना फिर शाम को मायूसी से ढलना... ©Parvej Khan

#इन्तज़ार
raat ko khuli aankho se sona,
subah ko is aas me jagna..
din bhar bechain rehna,
fir shaam ko mayoosi se dhalna..
intezaar hi ho h.... 😇
#बेचैन #आस
#waiting #intejar #bechain

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