देख तेरी कंचन काया
मुझ पे चलने लगी प्रेम की माया
जब से देखी मैने तेरी छवि छाया
दुनिया को लगा मुझ पे है किसी का साया
मैने सबको है बताया
कि कैसे तेरी नज़रों ने है मुझे सताया
मैने ऋषि बन जो भी था कमाया
तूने अपनी अदाओं से है सब चुराया
अब करनी है मुझे एक कठिन तपस्या
क्योंकि तेरे मेरे बीच की दूरी है इक कठिन समस्या
काश तुम बन जाओ मेरी भार्या
तो शामिल करूं तुम्हे मेरे दिन में यूं जैसे हो मेरी दिनचर्या
और देने के लिए अपनी ये हसीन प्रतिक्रिया
ए खूबसूरत फरेब तेरा शुक्रिया
©सुधांशु गौतम