रात के हर लम्हों से तुझे चुरा लेता हूं, तुझे याद क | हिंदी Shayari

"रात के हर लम्हों से तुझे चुरा लेता हूं, तुझे याद करता हूं, खुद को तुझसा बना लेता हूं। ये चांद, ये बादल बिखर के हर तारा तस्वीर बना देता है तेरी, में पूरे आसमा को ही जहां बना लेता हूं। तू किसी राहत की बारिश सी बरसती हैं मुझपे, में किसी परिंदे सा भीग जाता हूं। मिश्री की डली सा घुलता है जहन में हर लफ्ज़ तेरा, बात करता हूं तुझसे और हर मीठा खा लेता हूं। ©Vivek Tiwari"

 रात के हर लम्हों से तुझे चुरा लेता हूं,
तुझे याद करता हूं, खुद को तुझसा बना लेता हूं।

ये चांद, ये बादल बिखर के हर तारा तस्वीर बना देता है तेरी,
में पूरे आसमा को ही जहां बना लेता हूं।

तू किसी राहत की बारिश सी बरसती हैं मुझपे,
में किसी परिंदे सा भीग जाता हूं।

मिश्री की डली सा घुलता है जहन में हर लफ्ज़ तेरा,
बात करता हूं तुझसे और हर मीठा खा लेता हूं।

©Vivek Tiwari

रात के हर लम्हों से तुझे चुरा लेता हूं, तुझे याद करता हूं, खुद को तुझसा बना लेता हूं। ये चांद, ये बादल बिखर के हर तारा तस्वीर बना देता है तेरी, में पूरे आसमा को ही जहां बना लेता हूं। तू किसी राहत की बारिश सी बरसती हैं मुझपे, में किसी परिंदे सा भीग जाता हूं। मिश्री की डली सा घुलता है जहन में हर लफ्ज़ तेरा, बात करता हूं तुझसे और हर मीठा खा लेता हूं। ©Vivek Tiwari

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