वक्त-वक्त की.....
कल तुम पास थे मेरे , तो खास भी
आज जो दूर हो ,तो आस भी
वो कल की बात , तो ये आज की
जिसे कहते हैं हम वक्त-वक्त की.....
कल लम्हे आबाद थे , तो आज बरबाद भी
आज जो नवीन है ,तो पुरातन भी
वो कल की लम्हें,तो ये आज की
जिसे कहते हैं हम वक्त-वक्त की....
कल पाए प्रेम थे ,तो आज उसे खोये भी
आज जो साहस है ,तो बिकराभ भी
वो कल की स्मृति ,तो ये आज की
जिसे कहते हैं हम वक्त-वक्त की....
कल हम थे ,तो आज मै और तुम भी
आज जो खुशियां हैं ,तो कुछ गम भी
वो कल की दशा ,तो ये आज की
जिसे कहते हैं हम वक्त-वक्त की....
©Pushpanjali
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