White 2122. 2122. 212
याद मौसम वो सुहाना आ गया
फिर लबों पर वो फ़साना आ गया
जो दबा रख्खे थे अपने सीने में
बज्म में ले कर तराना आ गया
गुजरे इत्तफाकन कूचे से उनके जब
कह उठे मजनू पुराना आ गया
नजरे नजरो से मिली फिर उनसे तो
सजदे में फिर से दिवाना आ गया
बच के नजरो से मिरे छुपने लगे
अपनेआशिक को छकाना आ गया
तीर अब ऐसा चलाया उसने भी
यूँ लगा दिल को ठिकाना आ गया
( लक्ष्मण दावानी )
21/10/2016
©laxman dawani
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