सुकून की तलाश में न भटका करो यूं ही, जो भी तुम्हार | हिंदी कविता

"सुकून की तलाश में न भटका करो यूं ही, जो भी तुम्हारे पास हो, उसी में खुश रहो। ज़िंदगी की राहों में कभी न रुको, जो भी मिला है, उसे जी भर के जी लो। ख्वाहिशों का तो कोई अंत नहीं, पर खुश रहने का तरीका है यही— जो कुछ भी है, उसे ही क़ीमत दो, कभी न किसी और की तलाश में खो। सपनों का पीछा करो, पर हकीकत को न भूलो, रात चाहे जैसी हो, दिन को उजाला बना लो। जो दिल कहे, वही करो, बस खुद से सच्चे रहो, वही सबसे बड़ा गुरुर करो। ©नवनीत ठाकुर"

 सुकून की तलाश में न भटका करो यूं ही,
जो भी तुम्हारे पास हो, उसी में खुश रहो।
ज़िंदगी की राहों में कभी न रुको,
जो भी मिला है, उसे जी भर के जी लो।

ख्वाहिशों का तो कोई अंत नहीं,
पर खुश रहने का तरीका है यही—
जो कुछ भी है, उसे ही क़ीमत दो,
कभी न किसी और की तलाश में खो।

सपनों का पीछा करो, पर हकीकत को न भूलो,
रात चाहे जैसी हो, दिन को उजाला बना लो।
जो दिल कहे, वही करो,
बस खुद से सच्चे रहो, वही सबसे बड़ा गुरुर करो।

©नवनीत ठाकुर

सुकून की तलाश में न भटका करो यूं ही, जो भी तुम्हारे पास हो, उसी में खुश रहो। ज़िंदगी की राहों में कभी न रुको, जो भी मिला है, उसे जी भर के जी लो। ख्वाहिशों का तो कोई अंत नहीं, पर खुश रहने का तरीका है यही— जो कुछ भी है, उसे ही क़ीमत दो, कभी न किसी और की तलाश में खो। सपनों का पीछा करो, पर हकीकत को न भूलो, रात चाहे जैसी हो, दिन को उजाला बना लो। जो दिल कहे, वही करो, बस खुद से सच्चे रहो, वही सबसे बड़ा गुरुर करो। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर
सुकून की तलाश में न भटका करो यूं ही,
जो भी तुम्हारे पास हो, उसी में खुश रहो।
ज़िंदगी की राहों में कभी न रुको,
जो भी मिला है, उसे जी भर के जी लो।

ख्वाहिशों का तो कोई अंत नहीं,
पर खुश रहने का तरीका है यही—

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