गेहेनो से सजा दिया
आसमान को पटाको से,
पर किसी गरीब का घर
हम क्यों ना रोशन करपाए
दीपावली की मिठाइयो से
अपनी कड़वाहट तो दूर करदी
पर उस सडक पर पड़ी लाचार माँ
को एक रोटी तक क्यों ना दे पाए
दिवाली की पटाको से कभी जलाया बेज़ुबानो को
तो कभी आग लगाई गरीबो के घरों मे
कभी किसी कुत्ते को मारा तो
कभी किसी गरीब माँ के बच्चे को
दीपावली पर अपने लिए नए कपडे तो खरीदे
पर आखिर क्यों ठण्ड मे मर रहे उन मासूम
हम ढक ना पाए।
आखिर ये केसा खुशियों का त्योहार हुआ
आखिर क्यों इंसान का इंसानो से ही इतना खुदगर्ज व्यवहार हुआ ।।
___नंदिनी_भारद्वाज ___
©Newthinker
दिवाली