"वो खिड़कियां वो दरवाजें
वो पीपल के दरख्ते
सब हैं अपनी जगह
पर इन्हें तुम नहीं दिखते
वो कमरा वो बिस्तरा
वो चादर की सिलवटें
देखती हैं मुझे
पर इन्हें तुम नहीं दिखते
वो छत जहां पर हम
शामें घंटों बिताते थे
अब उस छत के बंद
दरवाज़ों को तुम नहीं दिखते
©Garima Srivastava"