Unsplash मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है
क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम
हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी
जिस को भी देखना हो कई बार देखना
हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नही
तू है हरजाई तो अपना भी यही तौर सही
तू नहीं और सही और नहीं और सही
©USKA SHAYAR
#sher