Unsplash मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी किस | हिंदी शायरी

"Unsplash मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी जिस को भी देखना हो कई बार देखना हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नही तू है हरजाई तो अपना भी यही तौर सही तू नहीं और सही और नहीं और सही ©USKA SHAYAR"

 Unsplash मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी

ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है
क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम

हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी
जिस को भी देखना हो कई बार देखना

हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नही

तू है हरजाई तो अपना भी यही तौर सही
तू नहीं और सही और नहीं और सही

©USKA SHAYAR

Unsplash मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी जिस को भी देखना हो कई बार देखना हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नही तू है हरजाई तो अपना भी यही तौर सही तू नहीं और सही और नहीं और सही ©USKA SHAYAR

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