White इन्तज़ार
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वक़्त के पाँव
ठहरे रहे
मेरी बदकिस्मती के दामन में
बसंत हाशिये पर रहा
मौसमों के पन्ने पर
लकीरें झूठ बोलती रही हथेली में
चेहरे पर आने लगी थोक में
ख़ुदरा ख़ुशी ख़र्च होती रही
ज़िन्दगी के बाज़ार में
लोगों ने वक़्त का गुज़रना सुना होगा
मैं वक़्त ठहरने का चश्मदीद हूँ
गीला सावन आँखों में ख़ुश है
थरथराते लबों को इंतज़ार है
बसंत के बस एक छुअन की.
©malay_28
#इंतज़ार