जो हुआ हूँ रुबरु खुद से मै
मै अब खुद से ही नफ़रत करने लगा हूँ
एक पीड़ा ये भी है ज्ञान की
मै अब मरने की हसरत करने लगा हूँ
कोरी है अब मेरे जेहन की दीवार
मै उसपर फ़ुर्क़त के रंग भरने लगा हूँ
ख़ामोशी के कमरे मे, चीखें क़ैद है मेरी
मै मुखौटे और मुरत से जंग करने लगा हूँ
©Sumit Sehrawat
#boat