अब तो चाय भी ठंडी हो जाती है,
जैसे हर बात अधूरी रह जाती है।
कभी गर्माहट थी लफ्ज़ों में हमारे,
अब खामोशी सब कुछ कह जाती है।
वो जो इंतजार हुआ करता था कभी,
अब बेख़ुदी में रात कट जाती है।
दिल की मिठास जैसे घुली नहीं,
और तन्हाई हर घूंट में बस जाती है।
चाय की भाप भी कहानी सुनाती है,
कि वक़्त के साथ हर चीज़ रुक जाती है।
अब न वो संगत, न वो लम्हों की बात,
बस ठंडी चाय और यादें रह जाती हैं।
©UNCLE彡RAVAN
#MorningTea