White - कुण्डलिया छंद - “संसद”
संसद अब चलती नहीं, गरिमा के अनुकूल।
दिया जा रहा व्यक्तिगत, बातों को ही तूल।।
बातों को ही तूल, और भाँजें तलवारें।
मर्यादाएँ भूल, बहुत कटु वचन उचारें।।
जनता को यह बात, बहुत अंतस तक खलती।
गरिमा के अनुकूल, नहीं संसद अब चलती।।
-हरिओमश्रीवास्तव -
©Hariom Shrivastava
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