काश मैं फिर छोटा हो जाऊँ,
माँ की गोद में फिर छिप जाऊँ,
अथाह सागर है तेरी छाती,
अमृत रस फिर से मैं पाऊँ,
काश मैं फिर छोटा हो जाऊँ,
पापा के कंधों पे चढ़कर,
उनका मैं कान्हा बन जाऊँ,
भाग दौड़ के उनके पीछे,
फिर से मैं बच्चा बन जाऊँ,
काश मैं फिर छोटा हो जाऊँ,
खेल खिलौने मैं फिर से पाऊँ,
वो मंज़र मैं फिर से लाऊँ,
पकड़ उंगली चलूँ फिर से साथ मैं उनके,
माँ - पापा संग इसे फिर दोहराऊँ,
काश मैं फिर छोटा हो जाऊँ.........
लेखक :- दीपक चौरसिया (विश्वदीपक)
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# काश मैं फिर छोटा हो जाऊँ,
माँ की गोद में फिर छिप जाऊँ,
अथाह सागर है तेरी छाती,
अमृत रस फिर से मैं पाऊँ,
काश मैं फिर छोटा हो जाऊँ,
पापा के कंधों पे चढ़कर,