पलकों के पीछे कोई ख्वाब गहरा है," दिल को जो समेट | हिंदी शायरी
""पलकों के पीछे कोई ख्वाब गहरा है," दिल को जो समेट ले,
ऐसा जज़्बातों का पेहरा है,
दर्द और तन्हाई के पास भी,
राज़ कोई गहरा है,
एक चेहरा बैठा है हर चेहरे में,
ख़ामोशी का भी एक सहरा है ।"
"पलकों के पीछे कोई ख्वाब गहरा है," दिल को जो समेट ले,
ऐसा जज़्बातों का पेहरा है,
दर्द और तन्हाई के पास भी,
राज़ कोई गहरा है,
एक चेहरा बैठा है हर चेहरे में,
ख़ामोशी का भी एक सहरा है ।