Alone घर के बड़े लड़के पिता से कुछ ही कम, पर लगभग उ | हिंदी कविता

"Alone घर के बड़े लड़के पिता से कुछ ही कम, पर लगभग उतने ही कठोर ह्रदय होते हैं, पिता की चप्पल पांव में फिट होते ही, एक अनकही जिम्मेदारी रख लेते हैं, अपने नाजुक कन्धों पर, लगभग किशोरावस्था से ही तलाशते हैं जरिया, कि पिता का बोझ हल्का कर सकें, और खो देते हैं अपना बचपन, बीस वर्ष की आयु में बयालिस सी बातें करते हैं, और दृढ़ करते हैं कुसंगति में न पड़ने का, पर उनकी ये जिम्मेदारी असहज हो जाती है, जब वे प्रेम करते हैं गैर-जाति की लड़की से, समूचे कुल की चिंता, पूरे वंश का सम्मान, सब मिट्टी हो जाएगा, अब ये विचार इन्हें खा जाएगा, समाज में नशा-पाती छोटी कुसंगति है, और थोड़ा बहुत नशा तो मर्द की निशानी, पर सबसे बड़ी कुसंगति प्रेम को माना गया है, वह भी गैर-जाति राम-राम-राम राम, हां सच में, घर के बड़े लड़के उतने बड़े नहीं होते, जितना उन्हें समझा जाता है, पर हां पिता से कुछ ही कम, पर उतने ही कठोर ह्रदय होते हैं, घर के बड़े लड़के। जीवननिधि ©Jeevan Nidhi Tiwari"

 Alone  घर के बड़े लड़के
पिता से कुछ ही कम,
पर लगभग उतने ही कठोर ह्रदय होते हैं,

पिता की चप्पल पांव में फिट होते ही,
एक अनकही जिम्मेदारी रख लेते हैं,
अपने नाजुक कन्धों पर,

लगभग किशोरावस्था से ही तलाशते हैं जरिया,
कि पिता का बोझ हल्का कर सकें,
और खो देते हैं अपना बचपन,

बीस वर्ष की आयु में बयालिस सी बातें करते हैं,
और दृढ़ करते हैं कुसंगति में न पड़ने का,
पर उनकी ये जिम्मेदारी असहज हो जाती है,
जब वे प्रेम करते हैं गैर-जाति की लड़की से,

समूचे कुल की चिंता,
पूरे वंश का सम्मान,
सब मिट्टी हो जाएगा,
अब ये विचार इन्हें खा जाएगा,

समाज में नशा-पाती छोटी कुसंगति है,
और थोड़ा बहुत नशा तो मर्द की निशानी,
पर सबसे बड़ी कुसंगति प्रेम को माना गया है,
वह भी गैर-जाति राम-राम-राम राम,

हां सच में,
घर के बड़े लड़के उतने बड़े नहीं होते,
जितना उन्हें समझा जाता है,

पर हां पिता से कुछ ही कम,
पर उतने ही कठोर ह्रदय होते हैं,
घर के बड़े लड़के।
                        जीवननिधि

©Jeevan Nidhi Tiwari

Alone घर के बड़े लड़के पिता से कुछ ही कम, पर लगभग उतने ही कठोर ह्रदय होते हैं, पिता की चप्पल पांव में फिट होते ही, एक अनकही जिम्मेदारी रख लेते हैं, अपने नाजुक कन्धों पर, लगभग किशोरावस्था से ही तलाशते हैं जरिया, कि पिता का बोझ हल्का कर सकें, और खो देते हैं अपना बचपन, बीस वर्ष की आयु में बयालिस सी बातें करते हैं, और दृढ़ करते हैं कुसंगति में न पड़ने का, पर उनकी ये जिम्मेदारी असहज हो जाती है, जब वे प्रेम करते हैं गैर-जाति की लड़की से, समूचे कुल की चिंता, पूरे वंश का सम्मान, सब मिट्टी हो जाएगा, अब ये विचार इन्हें खा जाएगा, समाज में नशा-पाती छोटी कुसंगति है, और थोड़ा बहुत नशा तो मर्द की निशानी, पर सबसे बड़ी कुसंगति प्रेम को माना गया है, वह भी गैर-जाति राम-राम-राम राम, हां सच में, घर के बड़े लड़के उतने बड़े नहीं होते, जितना उन्हें समझा जाता है, पर हां पिता से कुछ ही कम, पर उतने ही कठोर ह्रदय होते हैं, घर के बड़े लड़के। जीवननिधि ©Jeevan Nidhi Tiwari

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