पहले उंगली फिर उसने पेन थमाया है,
पहले चलना फिर मुझे पड़ना लिखना सिखाया है।
खुद सोये गीले म मुझे सूखे में सुलाया है,
बो काँपते रहे ठंड में मुझे आग में तपाया हैं।
खुद ही लड़ते रहे हर तकलीफ से ओर मुझको छुपाया है,
ऐसा कुछ हुआ नही जो मुझ तक पहुच पाया है।
अगर कर न सका कुछ उन माँ बाप के लिए तो,
ऐ खुदा फिर तूने मुझे क्यों बनाया हैं।।
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©ᴀʟғᴀᴀᴢᴏɴ ᵏᵃ ќᾄʀvᾄ _ (The Unknown Writer)
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