लिखूँ इक गीत तेरी ख़ातिर
ये तेरे लबों की गुज़ारिश है।
हम आ गए जो इतने क़रीब
ये ज़रूर दिलों की साज़िश है।
बस तुझको पा लूँ ज़िंदगी में
ये इस दिल की ख़्वाहिश है।
और तेरा भी मुझे ही चाहना
ये ज़रूर दिलों की साज़िश है।
जो हिचकियों से बेहाल है तू
मेरी यादों की आज़माईश है।
इक तेरे सिवा कोई याद नहीं
ये ज़रूर दिलों की साज़िश है।
©Mahesh Kumar 'Maddy'
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