ख़ुशियों पे है, मेरे ग़म पे तेरी दावेदारी नहीं! द | हिंदी शायरी Video

"ख़ुशियों पे है, मेरे ग़म पे तेरी दावेदारी नहीं! दर्द, मर्ज़, और मौत में कोई साझेदारी नहीं! कभी तेरे लब चाहूँ तो कभी तेरी आंखें, सच है, मेरी आशिक़ी में वफ़ादारी नहीं! हक़ीक़त बयानी तुझे रुसवा करती रहे, तेरी शानोशौक़त मेरी तो ज़िम्मेदारी नहीं! क्या दवा-दारू? क्या चारागर की सलाह? मुझे अब क़फ़न चाहिए, तिमारदारी नहीं! दुनिया ए इश्क़ में नाम का कैसा वजूद? यहाँ बस जज़्बात चलेंगे, रिश्तेदारी नहीं! जी, लेकिन हक़ीक़त ए क़यामत न भूल, होनी की नज़रंदाज़ी कोई समझदारी नहीं! (चारागर - डाक्टर) (तिमारदारी - इलाज) ©Shubhro K "

ख़ुशियों पे है, मेरे ग़म पे तेरी दावेदारी नहीं! दर्द, मर्ज़, और मौत में कोई साझेदारी नहीं! कभी तेरे लब चाहूँ तो कभी तेरी आंखें, सच है, मेरी आशिक़ी में वफ़ादारी नहीं! हक़ीक़त बयानी तुझे रुसवा करती रहे, तेरी शानोशौक़त मेरी तो ज़िम्मेदारी नहीं! क्या दवा-दारू? क्या चारागर की सलाह? मुझे अब क़फ़न चाहिए, तिमारदारी नहीं! दुनिया ए इश्क़ में नाम का कैसा वजूद? यहाँ बस जज़्बात चलेंगे, रिश्तेदारी नहीं! जी, लेकिन हक़ीक़त ए क़यामत न भूल, होनी की नज़रंदाज़ी कोई समझदारी नहीं! (चारागर - डाक्टर) (तिमारदारी - इलाज) ©Shubhro K

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