नहीं बैठना पालकों पर, बस एक नज़र मिला लेना। अनजान | हिंदी कविता

"नहीं बैठना पालकों पर, बस एक नज़र मिला लेना। अनजान हूं दुनियां से, थोड़ी दुनियादारी सीखा देना। सजा बेशक दो पर...... गलतियां हर भूला देना। बीच राह में मत छोड़ना, मंजिल तक पहुंचा देना। कसमें चाहे हजारों खा लेना, पर.... हकीकत से मिलवा देना। नासमझ हूं हर रिश्ते से, अपना एक ये रिश्ता समझा देना। डगमगा जाते है हर क़दम, तुम सही राह पर चलना सीखा देना। समझ नहीं सकते अगर हमें, तो चाहे दिल से निकाल देना। ©आधुनिक कवयित्री"

 नहीं बैठना पालकों पर,
बस एक नज़र मिला लेना।
अनजान हूं दुनियां से,
थोड़ी दुनियादारी सीखा देना।
सजा बेशक दो पर......
गलतियां हर भूला देना।
बीच राह में मत छोड़ना,
मंजिल तक पहुंचा देना।
कसमें चाहे हजारों खा लेना,
पर.... हकीकत से मिलवा देना।
नासमझ हूं हर रिश्ते से,
अपना एक ये रिश्ता समझा देना।
डगमगा जाते है हर क़दम,
तुम सही राह पर चलना सीखा देना।
समझ नहीं सकते अगर हमें,
तो चाहे दिल से निकाल देना।

©आधुनिक कवयित्री

नहीं बैठना पालकों पर, बस एक नज़र मिला लेना। अनजान हूं दुनियां से, थोड़ी दुनियादारी सीखा देना। सजा बेशक दो पर...... गलतियां हर भूला देना। बीच राह में मत छोड़ना, मंजिल तक पहुंचा देना। कसमें चाहे हजारों खा लेना, पर.... हकीकत से मिलवा देना। नासमझ हूं हर रिश्ते से, अपना एक ये रिश्ता समझा देना। डगमगा जाते है हर क़दम, तुम सही राह पर चलना सीखा देना। समझ नहीं सकते अगर हमें, तो चाहे दिल से निकाल देना। ©आधुनिक कवयित्री

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