किस्मत से कैसे लड़ते हम?
आगे को कैसे बढ़ते हम?
तोड़ दी मेरी बैसाखी को,
एक कदम कैसे चलते हम?
छोड़ दिया मुझको लहरों में,
डूब गए,क्या करते हम?
सीख लिया हमने भी जीना,
कबतक यूं ऐसे जलते हम?
सबने चोट लगाई चंचल,
ज़ख़्म कहो कैसे भरते हम?
©Chanchal Hriday Pathak
#किस्मत