पल्लव की डायरी सोहवते चाय की, शर्मिंदगी जता रही है | हिंदी कविता

"पल्लव की डायरी सोहवते चाय की, शर्मिंदगी जता रही है मेजबानी के अभाव में कपो पर उदासी छा रही है लते लगी थी जिन्हें चाय की वो भी महँगाई की मार से पत्ती चीनी ईंधन भी नही जुटा पा रही है इज्जत किसी की ना जाय इसलिये चाय छोड़ने की दलीले काम आ रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव""

 पल्लव की डायरी
सोहवते चाय की,
शर्मिंदगी जता रही है
मेजबानी के अभाव में 
कपो पर उदासी छा रही है
लते लगी थी जिन्हें चाय की
वो भी महँगाई की मार से
पत्ती चीनी ईंधन भी नही जुटा पा रही है
इज्जत किसी की ना जाय
इसलिये चाय छोड़ने की दलीले काम आ रही है
                                                          प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

पल्लव की डायरी सोहवते चाय की, शर्मिंदगी जता रही है मेजबानी के अभाव में कपो पर उदासी छा रही है लते लगी थी जिन्हें चाय की वो भी महँगाई की मार से पत्ती चीनी ईंधन भी नही जुटा पा रही है इज्जत किसी की ना जाय इसलिये चाय छोड़ने की दलीले काम आ रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#chai पत्ती चीनी ईंधन भी नही जुटा पा रही है

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