सबकुछ हार चुका हूँ। केवल हारा नहीं हूँ तो वह है केवल स्वयं को...अभी एक ललकार बाकी है। अभी जीने की आस और सफ़ल होने की प्रयास बाकी है। लोगों ने मुँह मोड़ लिया। प्रेमिका ने साथ छोड़ दिया। दोस्ती से विछोह हो गया। अब तन्हा मुसाफ़िर हूँ। सबको क्षमा करके, मौन हो गया हूँ।
©SHASHI BHASKER
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