"Maa "मां" तू जो ये मेरे गले में ताबीज बांधती फिरती है न, भले ही उससे कुछ फर्क पड़ता हो, न पड़ता हो, लेकिन, इसमें जो तेरा बेशुमार प्यार छुपा होता है , उससे जरूर फर्क पड़ता है मुझे ! - राहुल"
Maa "मां" तू जो ये मेरे गले में ताबीज बांधती फिरती है न, भले ही उससे कुछ फर्क पड़ता हो, न पड़ता हो, लेकिन, इसमें जो तेरा बेशुमार प्यार छुपा होता है , उससे जरूर फर्क पड़ता है मुझे ! - राहुल