आँधियों ने भी कई बार राह रोकनी चाही,
पर मेरे हौसले ने हर दिवार तोड़ दी।
दुनिया ने पूछा कैसे जीते हो हर जंग,
मैंने कहा, खुद से हारने की बात छोड़ दी।
जो गिरते हैं, वही उड़ना सीखते हैं,
जो जलते हैं, वही सूरज बनते हैं।
मुझे गिराने की साज़िश हर तूफ़ान ने की,
पर मैं हर बार और मज़बूत होकर उठता हूँ।
मंज़िलों ने कहा, तुमने हम तक पहुँचने का हक़ पाया,
रास्तों ने कहा, तुम्हारे जज़्बे ने हमें झुकाया।
©नवनीत ठाकुर
#नवनीतठाकुर
आँधियों ने भी कई बार राह रोकनी चाही,
पर मेरे हौसले ने हर दिवार तोड़ दी।
दुनिया ने पूछा कैसे जीते हो हर जंग,
मैंने कहा, खुद से हारने की बात छोड़ दी।
जो गिरते हैं, वही उड़ना सीखते हैं,