✍️आज की डायरी✍️ महफ़िलों में आने-जाने के लिए कुछ न | हिंदी कविता

"✍️आज की डायरी✍️ महफ़िलों में आने-जाने के लिए कुछ नये तरीक़े भी सीखो यारों । यूँ मुस्कुराकर हरदम मिलना भी कई सवाल खड़े कर देता है ।। ✍️नीरज✍️ ©डॉ राघवेन्द्र"

 ✍️आज की डायरी✍️

महफ़िलों में आने-जाने के लिए कुछ नये तरीक़े भी सीखो यारों   । 

यूँ मुस्कुराकर हरदम मिलना भी कई सवाल खड़े कर देता है ।। 

                                    ✍️नीरज✍️

©डॉ राघवेन्द्र

✍️आज की डायरी✍️ महफ़िलों में आने-जाने के लिए कुछ नये तरीक़े भी सीखो यारों । यूँ मुस्कुराकर हरदम मिलना भी कई सवाल खड़े कर देता है ।। ✍️नीरज✍️ ©डॉ राघवेन्द्र

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