मोह में डूबी मैं ऐसी दीवानी ,
जीवन को जीये जा रही ,जीये जा रही ,
आज का पता न ,कल की पूछ ,
कुछ समझ न , अपनी बूझ ,
प्रफुल्लित अपने आप में डूबी ,
जीये जा रही , जीये जा रही ।
नील गगन भी हंस रहा ,
सागर भी तो नाच रहा
हवा तो झोंके खा रही ,
धुल भी तो साथ रही ,
पर मैं मस्तानी मस्ती से ,
जीये जा रही , जीये जा रही ।
रोना तो मैं भूल गयी ,
माथे की सिकुड़न छूट गयी ,
यादों में खोई, मैं रब भरोसे,
जीये जा रही ,जीये जा रही ।
शक्ल है, न अक्ल है,
न पीठ पर कोई भार ,
न एहसान ,न आभार ,
एहसासों की दुनिया में,
मैंलथपथ हुई जा रही,
मैं ऐसी बावली,बस
जीये जा रही , जीये जा रही ।।
©Kirti Sharma
#msti se jivan jio #
##life ek hi bar milti h ,kisi ki fikr kiye Bina apni life enjoy kro .