जमाने को कोसना, अब छोड़ भी दो यार। गलतफहमियों का ध | हिंदी शायरी
"जमाने को कोसना, अब छोड़ भी दो यार।
गलतफहमियों का धागा,अब तोड़ भी दो यार।
चलते-चलते जब,थक जाओगे तन्हा सफर में।
सुकूँ के बादलों के तरफ, अब रुख मोड़ भी दो यार।
Shiv k Shriwas"
जमाने को कोसना, अब छोड़ भी दो यार।
गलतफहमियों का धागा,अब तोड़ भी दो यार।
चलते-चलते जब,थक जाओगे तन्हा सफर में।
सुकूँ के बादलों के तरफ, अब रुख मोड़ भी दो यार।
Shiv k Shriwas