एक अजनबी सी आहट थी तेरी
तूने दिलों का राज़ जाना मुझसे,
वक्त आगे बढा़ और तू पीछे मुडा़
मेरा एहसास ही ना जाना मुझसे,
जिस मोड़ पर हूँ मैं वहाँ तू लाया था
अब तंहा छोड़ने का बहाना बनाया मुझसे,
किस बात की चाह रखी तूने मेरे साथ
कि मासूम मुहब्बत को ठुकराया मुझसे।
©zarri farha
#sagarkinare