एक नए खेल की शुरुआत हुई है यह अलग बात है कि हार ह | हिंदी शायरी

"एक नए खेल की शुरुआत हुई है यह अलग बात है कि हार हुई है। इस बार लड़ेंगे फरेबी होकर मोहब्बत को जिस्म की दरकार हुई है। देखेंगे खुद को गिरा के तुझ सा जाने कितनों से आंखें चार हुई है। मिट गए न जाने कितने आशिक लहूलुहान अखबार हुई है। ©अमर सिंह"

 एक नए खेल की शुरुआत हुई है 
यह अलग बात है कि हार हुई है। 

इस बार लड़ेंगे फरेबी होकर
मोहब्बत को जिस्म की दरकार हुई है। 

देखेंगे खुद को गिरा के तुझ सा
जाने कितनों से आंखें चार हुई है। 

मिट गए न जाने कितने आशिक
लहूलुहान अखबार हुई है।

©अमर सिंह

एक नए खेल की शुरुआत हुई है यह अलग बात है कि हार हुई है। इस बार लड़ेंगे फरेबी होकर मोहब्बत को जिस्म की दरकार हुई है। देखेंगे खुद को गिरा के तुझ सा जाने कितनों से आंखें चार हुई है। मिट गए न जाने कितने आशिक लहूलुहान अखबार हुई है। ©अमर सिंह

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