Unsplash किसान का दर्द दिसम्बर की सर्द राते और क | हिंदी कविता

"Unsplash किसान का दर्द दिसम्बर की सर्द राते और किसान का हौंसला इस पर एक शानदार रचना किसानों को समर्पित है 👉 सर्द ठंडी राते, हाड़ कपाती सर्दी पहनी काली बंडी हो, छोटी पहन धोती ले कुदाल फावड़ा, करने लगा खेती तु देख होंसला, जज्बा, देख कितनी मजबूरी है कितनी करता है मेहनत मजदूरी रात कितनी भी ठंडी हो फर्क नहीं पढ़ता उसे वो उसका काम हैं कहते है सभी उसे कहती हैं सरकारे उसे देश का अन्नदाता है मगर परेशानियों से छुटकारा कहाँ मिलता है उसे फिर भी पेट पालने को खुद का ,परिवार का ,देश का तैयार रहता है हर दम न डरता है,न घबराता है परेशानियों से लड़ता है दुख होता है कभी कभी लड़ते लड़ते मर जाता है फिर भी किसान हिम्मत नहीं हारता है क्योंकि वो किसान हैं स्वाभिमान से जीता है भारत भूमि पर रहता है बहुत प्यार करता है अपनी धरती माँ से इसलिए इस पर हमेशा अपनी जान न्योछावर करता हैं 👉स्वरचित मदन जोशी ,माँ का लाल उदयपुर ,राजस्थान ©Madanjoshi"

 Unsplash किसान का दर्द

दिसम्बर की सर्द राते 
और किसान का हौंसला 

 इस पर एक शानदार रचना किसानों को समर्पित है 

👉
सर्द ठंडी राते,
            हाड़ कपाती सर्दी
पहनी काली बंडी हो,
               छोटी पहन धोती
ले कुदाल फावड़ा,
                करने लगा खेती
तु देख होंसला, जज्बा,
             देख कितनी मजबूरी है 
कितनी करता है 
                 मेहनत मजदूरी
रात कितनी भी ठंडी हो
             फर्क नहीं पढ़ता उसे
वो उसका काम हैं 
                     कहते है सभी उसे
कहती हैं सरकारे उसे
                   देश का अन्नदाता है
मगर परेशानियों से छुटकारा
                   कहाँ मिलता है उसे
फिर भी पेट पालने को
      खुद का ,परिवार का ,देश का
तैयार रहता है हर दम
  न डरता है,न घबराता है
            परेशानियों से लड़ता है
दुख होता है कभी कभी
        लड़ते लड़ते मर जाता है
फिर भी किसान हिम्मत 
             नहीं हारता है
क्योंकि वो किसान हैं 
           स्वाभिमान से जीता है
भारत भूमि पर रहता है
            बहुत प्यार करता है
    अपनी धरती माँ से 
         इसलिए इस पर हमेशा
   अपनी जान न्योछावर करता हैं
              👉स्वरचित
          मदन जोशी ,माँ का लाल
           उदयपुर ,राजस्थान

©Madanjoshi

Unsplash किसान का दर्द दिसम्बर की सर्द राते और किसान का हौंसला इस पर एक शानदार रचना किसानों को समर्पित है 👉 सर्द ठंडी राते, हाड़ कपाती सर्दी पहनी काली बंडी हो, छोटी पहन धोती ले कुदाल फावड़ा, करने लगा खेती तु देख होंसला, जज्बा, देख कितनी मजबूरी है कितनी करता है मेहनत मजदूरी रात कितनी भी ठंडी हो फर्क नहीं पढ़ता उसे वो उसका काम हैं कहते है सभी उसे कहती हैं सरकारे उसे देश का अन्नदाता है मगर परेशानियों से छुटकारा कहाँ मिलता है उसे फिर भी पेट पालने को खुद का ,परिवार का ,देश का तैयार रहता है हर दम न डरता है,न घबराता है परेशानियों से लड़ता है दुख होता है कभी कभी लड़ते लड़ते मर जाता है फिर भी किसान हिम्मत नहीं हारता है क्योंकि वो किसान हैं स्वाभिमान से जीता है भारत भूमि पर रहता है बहुत प्यार करता है अपनी धरती माँ से इसलिए इस पर हमेशा अपनी जान न्योछावर करता हैं 👉स्वरचित मदन जोशी ,माँ का लाल उदयपुर ,राजस्थान ©Madanjoshi

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किसान का दर्द

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