तुम अगर कवि हो तो मेरा ये निवेदन सुन लो,
खोल कर कान जरा वक्त की धड़कन सुन लो,
तुम और न ये श्रृंगार न लिखो गीतों में
तुम न अब प्यार या श्रृंगार लिखो गीतों में
वक्त की मांग हैं अंगार लिखो गीतों में
सिर्फ कुंठाओं की अभिव्यक्ति नहीं है कविता
काम क्रीड़ाओं की आसक्ति नहीं है कविता
कविता हर देश की तस्वीर हुआ करती है
निहत्थे लोगों की शमशीर हुआ करती है…
तुम भी शमशीर या तलवार लिखों गीतों में
वक्त की मांग हैं अंगार लिखों गीतों में
_______डॉ उर्मिलेश
©Dev Rishi
#Hindidiwas