पलकों पर ख्वाब हों, मगर आँखें खुली रहें,
सफ़र चाहे लंबा हो, हिम्मत सजी रहें।
बड़ा वही जो झुकने का हुनर जानता हो,
झुके भी तो खुद्दारी के संग चलता हो।
तूफ़ानों से लड़ने का मिज़ाज रखो,
खुद को गिरने से बचाने का रिवाज़ रखो।
दुनिया का बोझ जितना संभालोगे,
खुद से उतना ही दूर निकल जाओगे।
जो गहराई समझे, वही ऊपर उठेगा,
जो दूसरों से डरेगा, वहीं खुद सिमटेगा।
अपने अंदर समंदर सा सुकून रख,
ऊपर से शांत, अंदर जुनून रख।
जो भीड़ के साथ चला, खो गया,
जो अलग रहा, खुदा जैसा हो गया।
©नवनीत ठाकुर
#नवनीतठाकुर
पलकों पर ख्वाब हों, मगर आँखें खुली रहें,
सफ़र चाहे लंबा हो, हिम्मत सजी रहें।
बड़ा वही जो झुकने का हुनर जानता हो,
झुके भी तो खुद्दारी के संग चलता हो।
तूफ़ानों से लड़ने का मिज़ाज रखो,